अलग अलग रंग के "मोजे "


"ओह-हो क्या फूहड़पन है ये, 
 मोजो की जोड़ियां कहाँ चली जाती है,पैर होते है क्या इनके, या जूतों से निकल कर कहीं सैर पर चल देते है, "
सुबह का वक्त और श्रीमती हकुना मटाटा की बड़बड़ाहट हमेशा की तरह जारी थी,  

और मि. हकुना मटाटा इन सब से बेपरवाह थे, एम.टी.वी  की सुंदर बालाओं पर बकायदा नज़रे जमाये हुए थे...
और उधर 
एक जैसे मोजे न मिलने पर मैडम का पारा एवरेस्ट पर था...!!
आदतन अंग्रेज़ी में  श्रीमती हकुना मटाटा  बड़बड़ाती हैं ,

"यू पीपल आर रियली क्लमज़ी"
माफ् करना पर शायद आपकी मम्मी ने आपको कुछ भी सलीका नहीं सिखाया है"

उनका इतना बोलना था कि बजाए बुरा मानने के
 मि. हकुना मटाटा पेट पकड़ कर हँसते हुए दोहरे हो गए,
 साथ उनका एकलौता "चश्मे-चिराग" भी पूरी ईमानदारी के साथ ठहाके मरते हुए अपने डैडी का साथ निभाने लगा..,!

उन दोनों को हँसता देख श्रीमती हकुना मटाटा की शक्ल बन रही थी,गुस्से में त्यौरियां चढ़ गई, कहर ढाती आंखों से उन्होंने 
डैडी और बेटे से हँसने का कारण पूछा ।

इस पर मि.हकुना मटाटा  बोले , 
"माना कि मेरी मम्मी ने मुझे सलीका नहीँ सिखाया,या मैं ही अहमक सीख नही पाया,पर मैं तो इस लड़के को देख कर हंस रहा हूं, जिसकी मम्मी ने मोजो के सही जोड़े पहनना नही सिखाया इसे"

ऐसा कहते हुए उन्होंने टिक्कू की तरफ इशारा किया जो, बड़ी मासूमियत के साथ दो अलग अलग मोजे डटाये हुए खड़ा था 

अब श्रीमती हकुना मटाटा क्या कहती, खीझते हुए उन्होंने ने हुक्म दिया कि मोजे उतारे जाए, और धम्म से सोफे पर सर पकड़ कर बैठ गई ।
कितना सिखाया इस टिक्कू को पर मजाल है कि सीख जाए..!!

एक पल को सन्नाटा छाया रहा  पर दूजे ही पल दो मज़बूत और दो नाजुक और मासूम बाहों ने श्रीमती हकुना मटाटा  को घेर लिया....

और मि. हकुना मटाटा बोले 
"अरे मेरी सलीकेदार बेगम,गर हम सलीका सीख गए तो तुम्हारी मीठी झिड़कीयां कौन सुनेगा ,
हमें यूँ ही रहने दो, दो अलग अलग मोजो के साथ...!!

और फिर हकुना मटाटा निवास में खिलखिलाहट गूंज उठी..!!
सच तो ये है कि ज़िन्दगी में हमें एक सी चीजें कहाँ मिलती है
खुशी और गम, जीत और हार , मिलना और बिछड़ना इनके रंग भी एक दूसरे से जुदा है ,पर है तो ज़िन्दगी का हिस्सा ही.....ठीक उन अलग अलग रंग के "मोजो " तरह....!!

 "है ना"..!!


-श्रीमती हकुना-मटाटा




Comments

Paritosh said…
शर्ट के बटन ऊपर नीचे न हुए तो क्या किये...
रिमोट को 2-3 बार हाथों पर नही पटके तो क्या किये...
गोलगप्पे खाते अगर दोनों में ही फूटने न दिए तो क्या किये...
दिन में उम्र का बहाना और रात में उसी उम्र की दुहाई न दिए तो क्या किये...
हँसते हँसते रोये नही और रोते रोते हँसे नही तो क्या किये...
अरे भाई ये और कुछ नही मटाटा निवास की ख़ूबियाँ हैं जिन्हें आप महसूस नहीं किये तो क्या किये...