ज़िन्दगी से कुछ लम्हें चुराने पड़ते हैं....!! zindagi se kuch lamhe churane padte hai...!!


शहर मानों अलास्का हुआ जा रहा था,
सर्द हवाओं ने कहर ढ़ाया हुआ था,  स्वेटर  तो जैसे अपनी अपनी गर्माहट खो चुके थे ,और सूरज को तो जैसे ज़ुखाम हो गया था..।

 मौसम ने कोई कसर नही छोड़ी थी जिंदगी दोज़ख़ करने में ऊपर से इस दिल के अपने मसले थे, 

आज सुबह से ही दिल उदास था,कुछ ग़मगीन सा, कुछ खोया हुआ सा..।

Three idiots का वो डायलॉग  "All is well,All is well दोहराते हुए  दिन बीता, 

पर शाम होते होते ,हिम्मत टूटने लगी,जब बदन दर्द से दोहरा होने लगा तब दिल भी दिल खोल कर शिकायतें करने लगा ।

वक़्त नही मिलता, कुछ भी जी भर के नही कर पाते है,सब कुछ जैसे किश्तों में बंट गया हो...

आज की बची नींद कल पूरी कर लेंगे, काम पर आते समय बच्चे को गले भी लगाएंगे तो यूँ जैसे काम ख़त्म कर रहे हो...

शरीर को जताते रहेंगे की "थोड़ा सब्र रख लो, तुम्हें इतवार को आराम करने मिलेगा,और इतवार आते ही ज़रूरते गला फाड़ कर चीखने लगती है, तब फिर काम मे भिड़ जाएंगे....


वक्त नहीँ है....,वक्त ही तो नहीं है....कहाँ है वक्त मेरे पास...

स्कूल का काम ,घर का काम बस सारी जिंदगी इसी में चली जायेगी.. मिसेस मटाटा के बग़ावत पर उतर आए दिल ने कहा..।

स्कूल से आते ही मिसेस मटाटा धम्म से सोफे पर पसर गई...

थकान से टूटते बदन और शिकायत भरे दिल से परेशान मिसेस मटाटा की आंखे  मोटे-मोटे  आंसुओं से भर गई...।।

उन्हें लगा, उन्हें एक ब्रेक की ज़रूरत है...।
इससे पहले की थकान बीमारी में बदल जाये..।


शाम को ऑफिस से लौटते  ही मिस्टर मटाटा  मिसेस मटाटा का उदास चेहरा भांप गए ,अब कैसे इन्हें बहलाया जाए कि तरकीबें बनाने लगे , अंधेरा छाते ही उन्होंने
  "चलो कहीँ घूमने चलें , या चलो तुम को कहीं घुमा ले आएं " क्यों इतनी उदास हो...? क्या हुआ है..?
 का राग अलापने शुरू कर दिया...!!


इस पर श्रीमती मटाटा ने खिसिया कर कहा "Are you out of your mind, who will go out in this bitter cold", 

 इस पर मिस्टर मटाटा मुस्कुरा कर बोले 
 "अरे बेगम आपको करना क्या है, कार में बैठिये, हीटर ऑन करने और कार चलाने का काम इस ख़ाकसार का है"...आप को कहाँ रुकना है,क्या खाना है ,बस हुक्म कीजिये...!!


"अरे यार मुझे नहीं जाना ,बख्श दो मुझे"... कहते हुए 

मिसेस मटाटा अपने काम मे लग गई...

पर मिस्टर मटाटा कहाँ मानने वाले थे....कुछ ही मिनटों में 

मिसेस मटाटा के सामने अदरक इलाइची वाली चाय , फेवरेट कप-सॉसर में हाज़िर कर उन्हें बाहर चलने पर मजबूर कर ही दिया..।


कुछ ही पलों में मटाटा परिवार कार के भीतर था ।

बैठते ही मिसेस मटाटा ने सवाल दागा ,हम कहाँ जा रहे है..?


इस पर टिक्कू बड़ी शरारत से बोला " हम लोग तो मुसाफ़िर है मम्मी ,जहां अच्छा लगेगा रुक जाएंगे.."..!!

मिसेस मटाटा ने आंखे तरेरी " अपने पापा का डायलॉग न 

मारो "..!!

 शहर के मेन रास्तो से घूमते हुए कार नजीराबाद की सड़कों पर दौड़ने लगी, ब्रेक लगा लजीज़ अड्डे    पर..

मिसेस मटाटा के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई...

"He knows what I love" उनके दिल ने कहा, 

चिकन बिरयानी उनकी फेवरेट थी..और मिस्टर मटाटा ये जानते थे ।

चिकन बिरयानी का स्वाद उठा कर मटाटा परिवार आगे बढ़ गया, पर अभी तो मोमोस स्टॉल का चक्कर लगाना बाक़ी था

मोमोस का स्वाद उठाते मिस्टर मटाटा बोले " चलिए अब आपको सतना की बेस्ट चाय पिलाते है" ...!!


और कार स्टेशन की और मुड़ गई, "कार पार्क कर , मटाटा फैमिली  स्टेशन के बाहर लगी  लंबी कुर्सियों पर बैठ कर चाय का आनन्द लेने लगी..।

चाय की दुकान की तरफ इशारा करते हुए मिस्टर मटाटा ने बताया कि ये सतना स्टेशन की सबसे पुरानी दुकान है, और इसकी चाय , बहुत पसंद की जाती  है...।


चाय वास्तव में बहुत टेस्टी थी...!!
ठंड की धुंध चारों तरफ..फैल चुकी थी, हल्के कोहरे में सब कुछ ब्लर और फैला से लग रहा था..। स्टेशन के बाहर हल्का शोरगुल था, कोई आ रहा था कोई जा रहा था...
कोई अपने किसी को छोड़ कर जा रहा था, तो कोई अपने किसी के पास जा रहा था, वक्त की कमी सबके पास थी, केवल मिसेस मटाटा के पास नहीं...सभी तो मैनेज कर रहे है,अपनी ज़िंदगी और काम को...केवल  वो अकेली नहीँ...

मिसेस मटाटा के मन की बात भांप कर मिस्टर मटाटा ने उनकी आंखों में झांकते हुए कहा, 

"यही ज़िन्दगी है बेगम, भागती दौड़ती ज़िन्दगी से कुछ पल चुराने पड़ते है, काम अपनी जगह है और ज़िन्दगी अपनी जगह , और मौसम का क्या है, क्या सहरा में रहने वाले जीना छोड़ देते है, या अलास्का में लोग उदास रहते है, जीना मत छोड़िये डिअर वाइफ, काम भी ज़िन्दगी का एक हिस्सा है,उसे एन्जॉय कीजिये..
और आगे बढ़ कर इन लम्हो को  भी हासिल कर लीजिए, कल यही लम्हे यादों में बदल जाएंगे...."!!

मिसेस मटाटा की आंखे फिर भर आईं....तब मिस्टर मटाटा ने उनकी हथेलियों को अपने हाथों  में भरते हुए कहा ...


"डिअर वाइफ तुम रिटायर  हो जाओगी, तब भी मैं तुम्हें यूंही लाऊंगा... चाय की चुस्कियाँ का मज़ा साथ मे लेने के लिये ,ज़िन्दगी को भरपूर जीने के लिए" ।

और फिर मटाटा फैमिली की कार वापस घर की और दौड़ रही थी..। म्यूजिक सिस्टम पर बज रहे गानों की धुन फ़िज़ा में  गूंज रही थी.....।
" ये जीवन है, इस जीवन का,यही है,यही है....रंगरूप"...।।

- मिसेस मटाटा 


Comments

Paritosh said…

"यही ज़िन्दगी है बेगम, भागती दौड़ती ज़िन्दगी से कुछ पल चुराने पड़ते है, काम अपनी जगह है और ज़िन्दगी अपनी जगह , और मौसम का क्या है, क्या सहरा में रहने वाले जीना छोड़ देते है, या अलास्का में लोग उदास रहते है, जीना मत छोड़िये डिअर वाइफ, काम भी ज़िन्दगी का एक हिस्सा है,उसे एन्जॉय कीजिये..
और आगे बढ़ कर इन लम्हो को भी हासिल कर लीजिए, कल यही लम्हे यादों में बदल जाएंगे...."!! यही तो सार है जिंदगी का।

शिकायतें भी ज़रूरी है जिंदगी के लिए शिकायतें ही नही। जिस दिन ये "भी" और "ही" का अंतर समझ आ जायेगा उस दिन शिकायतों से भी प्यार हो जाएगा और ज़िन्दगी से भी।

शुभकामनाएं मटाटा परिवार को।